Holy scripture

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Wednesday, August 5, 2020

भैया दूज क्या है??

भाई दूज
       राखी के बाद मनाया जाता है। पहले दीपावली उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है।
Bhai Dooj के दिन बहनें भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगा कर उसकी आरती करती हैं। भाई दूज का मनमाना पर्व बहन के अपने भाई के प्रति प्रेम को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें इस दिन अपने भाई की खुशहाली के लिए ईश्वर से कामना करती हैं। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है।

गीता जी हमारा प्रमुख सदग्रंथ है। सतभक्ति की प्रबल इच्छा रखने वाले साधकों को गीता जी व वेदों को आधार बनाकर भक्ति करनी चाहिए।
भैया दूज
भैया दूज की पूजा क्या है?

 वेदों अनुसार साधना न करने वाले मनुष्य पूर्ण मुक्त नहीं होते।।

पवित्र गीता अध्याय 9 के श्लोक 23, 24 में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य देवी-देवताओं को पूजते हैं वे भी मेरी काल की पूजा ही कर रहे हैं। परंतु उनकी यह पूजा अविधिपूर्वक यानि शास्त्रविरूद्ध है (देवी-देवताओं को नहीं पूजना चाहिए) क्योंकि सम्पूर्ण यज्ञों का भोक्ता व स्वामी मैं ही हूँ। वे भक्त मुझे अच्छी तरह नहीं जानते कि यह काल है। इसलिए इसकी पूजा करके भी पतन को प्राप्त होते हैं जिससे नरक व चौरासी लाख जूनियों का कष्ट सदा बना रहता है। जैसे गीता अध्याय 3 श्लोक 14-15 में कहा है कि सर्व यज्ञों में प्रतिष्ठित अर्थात् सम्मानित, जिसको यज्ञ समर्पण की जाती है वह परमात्मा (सर्व गतम् ब्रह्म) पूर्ण ब्रह्म है। वही कर्माधार बना कर सर्व प्राणियों को प्रदान करता है। परन्तु पूर्ण सन्त न मिलने तक सर्व यज्ञों का भोग (आनन्द) काल (मन रूप में) ही भोगता है, इसलिए कह रहा है कि मैं सर्व यज्ञों का भोक्ता व स्वामी हूँ।
सद्ग्रन्थों का ज्ञान
 सदग्रंथों का ज्ञान

श्राद्ध निकालने (पितर पूजने) वाले पितर बनेंगे, उनकी मुक्ति नहीं होती तो गंगा – यमुना में स्नान करने वालों की कैसे हो सकती है!

वेदों ओर गीता जी में केवल एक पूर्ण परमात्मा की पूजा का ही विधान है, अन्य देवताओं, पितरों, भूतों की पूजा करना मना है। पुराणों में ऋषियों का आदेश है। जिनकी आज्ञा पालन करने से प्रभु का संविधान भंग होने के कारण कष्ट पर कष्ट उठाना पड़ेगा। इसलिए आन उपासना पूर्ण मोक्ष में बाधक है। और यमराज कोई पूर्ण परमात्मा नहीं है जिसकी पूजा अर्चना से कोई लाभ मिल सके। मोक्ष प्राप्त करने के लिए भाई बहन को यमुना स्नान करने से नहीं बल्कि तत्वज्ञान को समझ कर विधिवत् तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा सतभक्ति करनी होगी और तीन चरणों में दिए जाने वाले मोक्ष मंत्र के जाप से मुक्ति होगी।

भाई दूज  ये मनमाना आचरण है इसे  की मनाने से भाई अपनी बहन की रक्षा नही कर पाता है और आज हमारे सामने लाखो उदाहरण है कि भैया दूज पर व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं अगर इस को मनाने से हमारी रक्षा होती है तो फिर ये संकट क्यों आ रहे हैं ।

ऐसे उदाहरणों से स्पस्ट है कि ये  मनमानी भक्ति साधना है इसको करने से यक्ति को किसी किसी भी  प्रकार का दुःखो का निवारण नही हो सकता है।
कबीर साहेब जी  भक्ति
शास्त्र विरूद्ध साधना करने से जीव का मोक्ष नही हो सकता।

अज्ञानतावश लोग करते हैं यम की पूजा
         पद्म पुराण के अनुसार कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं जाता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)।
मथुरा में यमराज का मंदिर है। लोकवेद के अनुसार यहां पर भाई-बहन यमराज की पूजा करते हैं। ये पूजा यम्-द्वितीया पर होती है। मथुरा के विश्राम घाट पर एक विशेष स्नान होता है, जिसमें लाखों भाई-बहन इस मनोकामना के साथ मिलकर यमुना के जल में स्नान करते हैं कि वह अपने पापों से मुक्त होंगे और मोक्ष प्राप्त करेंगे।
विचार कीजिए यदि ऐसा होता तो यमुना के जल में रहने वाले जीव जंतु तो सीधे मोक्ष को प्राप्त होंगे क्योंकि वह तो दिन रात उसी जल में रहते हैं । मनुष्य जल में स्नान करके उसमें रहने वाले लाखों जीवों की हत्या अनजाने में ही कर देता है जिसका पाप उसके सिर यानी कर्मों में जोड़ दिया जाता है। ऐसे में मोक्ष की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती।

कबीर भगवान हमारी रक्षा कर सकता है।

भैया दूज का पर्व 84 लाख योनियां नहीं छुड़ा सकता
पुराणों पर आधारित रहकर भक्ति कर्म करने वाले का मोक्ष तो बहुत दूर की बात है वह तो 84 लाख योनियों में जन्म मृत्यु से भी पीछा नहीं छुड़ा पाता। एक दिन यमुना में स्नान करने से पाप धुल जाते तो लोग 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा क्यों करते हैं।
।।उत्तम धर्म जो कोई लखि पाये। आप गहैं औरन बताय।।

 

तातें सत्यपुरूष हिये हर्षे। कृपा वाकि तापर बर्षे।।

जो कोई भूले राह बतावै। परम पुरूष की भक्ति में लावै।।

ऐसो पुण्य तास को बरणा। एक मनुष्य प्रभु शरणा करना।।

कोटि गाय जिनि गहे कसाई। तातें सूरा लेत छुड़ाई।।

एक जीव लगे जो परमेश्वर राह। लाने वाला गहे पुण्य अथाह।।

भावार्थ परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि एक मानव (स्त्री-पुरूष) उत्तम धर्म यानि शास्त्र अनुकूल धर्म-कर्म में पूर्ण संत की शरण में आता है औरों को भी राह (मार्ग) बताता है। उसको परमेश्वर हृदय से प्रसन्न होकर प्रेम करता है। जो कोई एक जीव को परमात्मा की शरण में लगाता है तो उसको बहुत पुण्य होता है। एक गाय को कसाई से छुड़वाने का पुण्य एक यज्ञ के तुल्य होता है। करोड़ गायों को छुड़वाने जितना पुण्य होता है, उतना पुण्य एक जीव को काल से हटाकर पूर्ण परमात्मा की शरण में लगाने का मध्यस्थ को होता है। भाई बहन और अन्यों को शीघ्र गलत साधना भक्ति त्याग कर सतभक्ति आरंभ करनी चाहिए।

जो लोग  पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति नही करते हैं उनको नरक लोक  में बहुत सी यातनाए सहन करनी पड़ती है और फिर 84 लाख प्रकार की योनिया धर्म राज के द्वारा भोगनी पड़ती है ।केवल सतभक्ति से व्यक्ति की ये 84 लाख प्रकार की योनियों में जाने से बच सकता है।


गीता में मनमाना आचरण करने वालों को मूर्ख कहा है
ज़रा सोचिए जो आदमी दूसरे की बहन, बेटी या बीवी का बलात्कार करेगा क्या वह भी इस तरह के स्नान के बाद नरक जाने से बच पाएगा। जो अपनी बहन के अलावा दूसरे की बहन , बेटी पर बुरी नज़र रखते हैं क्या वह भी नरक जाने से बच पाएंगे।
गीता अ.16 के श्लोक 23 में शास्त्र विरुद्ध भक्ति के लिए मना किया गया है।
सभी प्रचलित तीज त्यौहार मनमाना आचरण और लोकवेद पर आधारित हैं।


अपने किसी भी धर्म के सद्ग्रन्थों में नही लिखा हुआ कि इस तरह की पूजा व भक्ति करने से जीव का कल्याण हो सकता है।
   जबकि अपने धर्म ग्रन्थों में शास्त्र विरूद्ध साधना को लताड़ा है।


आज वर्तमान समय मे केवल संत रामपाल जी महाराज ही शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना बता रहे हैं जिसे व्यक्ति को सुख व मोक्ष की प्राप्ति होगी ।
तत्वदर्शी संत की जानकारी
तत्वज्ञान

अधिक जानकारी के लिए  अवश्य देखे सत्संग।
साधना टीवी पर
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8:30से9:30pm