Sunday, May 31, 2020

काशी के लोगो ने कबीर साहेब को 52 बार मार लेकिन सारे प्रयत्न असफल रहे है।।


कबीर साहेब जी को 52 कसनी (52 बदमाशी) दी गयी। फिर भी उनका कुछ नहीं हुआ क्योंकि कबीर साहेब जी अविनाशी थे।लगभग 600 साल पहले जब परमेश्वर कबीर साहेब जीवों का उद्धार करने के लिए धरती पर आये तो पाखंडवाद का विरोध किया

सिकंदर लोधी के  धार्मिक गुरु शेखतकी पीर ने कबीर साहेब को नीचा दिखाने के लिए 3दिन के भंडारे की कबीर साहेब के नाम से सभी सब जगह झूठी चिट्ठी
डाली थी कबीर जी  3दिन का भंडारा करेंगे फिर कबीर साहेब ने 3दिन का भंडारा भी करा दिया था और कबीर साहेब की महिमा भी हुई।।



कबीर परमेश्वर को शेखतकी ने उबलते हुए तेल में बिठाया। लेकिन कबीर साहेब ऐसे बैठे थे जैसे कि तेल गर्म ही ना हो। सिकन्दर बादशाह ने तेल के परीक्षण के लिए अपनी उंगली डाली, तो उसकी उंगली जल गई। लेकिन अविनाशी कबीर परमेश्वर जी को कुछ भी नहीं हुआ।


सिकंदर लोधी के धार्मिक गुरु शेखतकी पीर कबीर जी को मारने के लिए उन्हें खूनी हाथी के आगे बांध कर डाला गया।
लेकिन अविनाशी कबीर जी ने हाथी को शेर रूप दिखा दिया। जिससे हाथी भयभीत होकर भाग गया।
सबने कबीर जी की जय जयकार की।


इसी तरह कबीर परमात्मा को ख़त्म करने के लिए हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने बहुत से प्रयास किये।बादशाह सिकंदर लोधी से उनकी झूठी शिकायतें करके उनको कई बार सज़ा करवाने की कोशिश की गयी।ऐसे ही एक बार सिकंदर लोधी ने कबीर साहेब को हाथी से कुचलवाने की सजा ।।

कबीर साहेब सिकंदर लोधी के दरबार में बैठकर सत्संग कर रहे थे। तब शेखतकी ने सिपाही से कहा लोहे को गर्म करके पानी की तरह कबीर   जी के ऊपर डाल दो ठीक ऐसा ही हुआ ।जब लोहा  पिलाकर कबीर जी के ऊपर डाला गया तब फूल बन गया मानो फूलों की वर्षा होने लगी।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी अविनाशी है इनको कोई नही मार सकता है इन नकली  धर्म गुरुओ के द्वारा किए गए सारे अत्याचार फेल हुए।

     आए जानते है कि वाक्य में  परमात्मा किसे कहते है??

हम किसे परमात्मा मानते हैं?
क्या सत्य ज्ञान देने वाले को परमात्मा मानोगे?
या चमत्कार दिखाने वाले का परमात्मा मानोगे?

कबीर परमात्मा ने यह दोनों ही करके दिखाए हैं!!

 लेकिन फिर भी लोगों ने उन्हें सिर्फ एक कवि माना परमात्मा नहीं।

 आखिर क्यो??

 अवश्य देखे इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए संत रामपाल जी महाराज के सुप्रसिद्ध चैंनलों पर सत्संग।।


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Saturday, May 30, 2020

मगहर में लीला की थी कबीर साहेब जी 120 वर्ष तक।

काशी के ब्राह्मणों ने यह अफवाह फैला दी थी कि जो काशी में मरता है वह स्वर्ग जाता है और जो मगहर में शरीर छोड़ता है, उसे गधे का जन्म मिलता है। भगवान कबीर ने मगहर में हजारों लोगों के सामने जाकर मनमाने लोक वेद का खंडन किया। शरीर के स्थान पर फूल पाए गए और उसने सतलोक प्राप्त किया जो स्वर्ग का अविनाशी है और स्वर्ग के स्वर्ग से ऊपर है

भगवान कबीर अपने शरीर को लेकर मगहर से सतलोक गए और उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले, जो भगवान कबीर की आज्ञा के अनुसार, दोनों धर्मों ने एक दूसरे को स्मृति में बनाने के लिए मगहर में 100 फीट के अंतर से लिया, आज भी मौजूद है। यह दो धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों के बीच आपसी सौहार्द और एकता का एक उदाहरण है।



जब मगहर में उसके शरीर के साथ कबीर साहेब जी सतलोक (स्वर्ग से भी ऊपर) गए, तब दोनों धर्मों (हिंदू और मुस्लिम) ने एक-एक ढँक लिए और सुगंधित फूलों का आधा भाग ले लिया और वहाँ एक-एक सौ फुट के अंतर पर एक यादगार अंश बनाया जो आज भी मौजूद है।


भगवान कबीर के मगहर से पूरे शरीर में चले जाने के बाद हर कोई हैरान था क्योंकि भगवान के शरीर के बजाय केवल सुगंधित फूल ही चादर में पाए जाते थे।
"नूर नूर निर्गुण पद मिल्या, देही भये हिरन हो, पद लिलोने भये अविनाशी, पेए पिंड एन प्राण हो"


भगवान कबीर ने हिंदू राजा वीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली खान पठान को एक दूसरे के बीच चादर बांटने के लिए कहा।
बीर सिंह बघेल करी विन्ते, बिजली खान पठान हो। करो चदरी बसीस का है, दीना ये प्रवाना हो।

मुक्ति खेत कुंती उभरी है, तजी काशी अस्थाना हो। शाह सिकंदर कदम लेत है, पातीशाह सुलताना हो। संत गरीबदास जी कहते हैं कि भगवान कबीर ने काशी को छोड़ दिया, जिससे ब्राह्मणों ने मुक्ति का स्थान कहा और मगहर चले गए।
जहां यह अफवाह थी कि मरने के बाद कोई नरक में जाएगा।
उस समय के राजा भी कबीर जी के साथ गए थे।



आज वही लीला कबीर साहेब जी संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में कर रहे है।
उनका ये ही उद्देश्य होता है परमात्मा का सभी  को सतज्ञान से परिचित करवाकर सतलोक ले जाने का।


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Friday, May 29, 2020

चारों युगों में आते हैं कबीर परमेश्वर ।।

जब भगवान कबीर त्रेतायुग में ऋषि मुनिंदके रूप में अपने चमत्कार करने आए, तो उनकी मुलाकात हनुमान जी से हुई। और उन्हें सतलोक के बारे में सूचित किया, हनुमानजी का मानना ​​था कि वह भगवान हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है। उन्होंने मुनिंदर जी से दीक्षा ली। उनका जीवन धन्य हो गया और मुक्ति मिली।


त्रेता युग में, भगवान कबीर मुनिंद्र के नाम से प्रकट हुए और नल और नील को अपनी शरण में ले लिया। उनके आशीर्वाद से, उन्होंने अपने मानसिक और शारीरिक रोगों को दूर किया और उनकी कृपा से पत्थर समुद्र पर तैरने लगे।
धर्मदास जी के लेखों में यह स्पष्ट है, राही नाल जातन कर हर, टैब सतगुरु से काई पुकार
जा बैठ री लखै अपार, सिंधु पार शिला तिराने वाला।।


द्वापर युग में, भगवान कबीर की कृपा से पांडवों का अश्वमेध यज्ञ किया गया था।
पांडवों के अश्वमेध यज्ञ में
भगवान कृष्ण के पास भी कई ऋषि मौजूद थे, फिर भी उनका शंख नहीं फूटता था।
कबीर परमेश्वर ने सुदर्शन सुपाच वाल्मीकि के रूप में शंख फूंका और पांडवों के यज्ञ को संपन्न किया।
ग़रीब दास जी महाराज की आवाज़ में यह स्पष्ट है

"गरेब सुप रु रूप धरि आये, सतगुरू पुरष केबर, तेन लोके की मड़ानी, सुर नर मुनि जान भीर"

कबीर साहेब ने 600 साल पहले कई चमत्कार किए थे। जगन्नाथ मंदिर को समुद्र द्वारा पांच बार नष्ट किया गया, फिर कबीर साहेब ने अपनी क्षमता दिखाते हुए, समुद्र को रोक दिया, ताकि मंदिर का निर्माण किया जा सके। वह कबीर चौरा आज भी जगन्नाथ पुरी में मौजूद है, जहाँ कबीर साहेब ने बैठकर समुद्र को रोका था।

वह परमात्मा चारों युगों में आते हैं और अपना ध्यान खुद बताते हैं कबीर साहेब जी की वाणी है कि :-


चारो युग मे मेरे संत पुकारे, कुक गया हम हेल रे।।
हीरे माणिक मोती बरसे ,ये जग चुगता सब डेल रे।।


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Wednesday, May 20, 2020

मानव समाज उत्थान क्या है?

मानव का उत्थान  दिन प्रतिदिन घटता ही जा रहा है  और  मानव का  स्तर गिरता ही जा रहा है   इसी  के चलते संत रामपाल जी  महाराज तत्वज्ञान के आधार पर  आज  मानव  के उत्थान के लिए नए -नए  आयोजन किए जा रहे है । जैसे की सामूहिक सतसंग,रक्त दान शिविरों का आयोजन  तथा  मानव समाज की हर सेवा में आगे रहना।
 






मानव का उत्थान अब फिर से ऊपर उभर के आयेगा  क्योंकि संत  रामपाल जी महाराज जी  मानव समाज के लिए एक ऐसी मुहीम छेड़ी है जिसके चलते  व्यक्ति    किसी भी प्रकार की बुराई नही करता था ना किसी प्रकार की चोरी ,रिश्वतखोरी , भ्रष्टाचारी आदि सभी बुराइयों से दूर है ।




संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य ही मानव समाज  में फेल रही समस्त बुराइयों को जड़ से खत्म करके पुनः से मानव समाज का उत्थान करना है।
 आज जगह जगह  संत रामपाल जी  महाराज के अनुयायी  मानव समाज की  सेवा के लिए  सबसे आगे है।





संत रामपाल जी  तत्वज्ञान के आधार पर आज व्यक्ति  जन कल्याण की सेवा के बारे में सोचता है  उनके ज्ञान आधार से आज मानव व्यक्ति बुराई से कोषों दूर चला गया।

संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान के  आधार पर मानव समाज का फिर उत्थान होगा।


अवश्य देखें संत रामपाल जी महाराज जी के सुप्रसिद्ध चैंनलों  पर सत्संग
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Thursday, May 14, 2020

शिक्षा का स्तर खराब है।

व्यक्ति का शिक्षा का स्तर भी  दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है  व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करके दिन प्रतिदिन लाचारी बनता जा रहा है और शिक्षा  व्यक्ति को  इसलिए मिली है कि वह शिक्षा प्राप्त कर भगवान को पहचान सके और  सही मार्ग दर्शन कर सके जबकि  शिक्षा प्राप्त व्यक्ति आज एक दूसरे के प्रति घृणा तथा  दुराचारी बनता हुआ जा रहा है।


भगवान ने व्यक्ति को शिक्षा इसलिए दी गई थी  वह पढ़ लिख कर अपने सभी शब्द ग्रंथों को पहचान ले और भगवान का अस्तित्व को जान ले।


उच्च शिक्षा प्राप्त कर किया हुआ व्यक्ति आज वह कई प्रकार के उपकरणों का प्रयोग कर रहा है जैसे कि गोले, बम का ऊपयोग कर व्यक्ति एक दूसरे दूसरे व्यक्ति का शत्रु   बनता जा रहा है।


अगर हम शिक्षा प्राप्त कर कर भी भगवान को नहीं पहचान सके  अथवा भगवान के  विधान को नहीं समझे तो हमारे उच्च शिक्षा का कोई भी लाभ नहीं है।


मानव जीवन में अगर हम पढ़  लिख कर भी भगवान को नहीं पहचाना सके तो हमारी शिक्षा को  धिक्कार है।

तो आइए जानते हैं कि वह भगवान कौन है कहां रहता तथा किसने देखा है  तथा उसके पाने की विधि क्या है?

 अवश्य देखिए इन टीवी चैनल पर संत रामपाल जी महाराज का मंगल प्रवचन 
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Wednesday, May 13, 2020

सच्चा भगवान कौन है ??

 सच्चा भगवान वह है जिनका प्रमाण सभी धर्मों के सद ग्रंथों में सच्चे भगवान का प्रमाण दे रखा है कि वह  परमात्मा सतलोक में विराजमान है राजा के समान दर्शनीय है सिर पर मुकुट है और बिजली जैसी गति करके यहां पर  अच्छी आत्माओं को मिलता है और उस सतलोक स्थान की जानकारी देता है
             
👉ऋग्वेद मण्डल नं. 9 सूक्त 86 मंत्रा 26.27,
 👉मण्डल नं. 9 सूक्त82 मंत्रा 1.2,

 👉मण्डल नं. 9 सूक्त 54 मंत्रा 3,

 👉मण्डल नं. 9 सूक्त 96 मंत्रा 16.20,
 👉मण्डलनं. 9 सूक्त 94 मंत्रा 2,
 👉मण्डल नं. 9 सूक्त 95 मंत्रा 1,
 👉मण्डल नं. 9 सूक्त 20 मंत्रा 1
       में कहा है कि परमेश्वर आकाश में सर्व भुवनों (लोकों) के ऊपर के लोक में तीसरे भाग में विराजमान है। वहाँ से चलकर पृथ्वी पर आता है। अपने रूप को सरल करके यानि अन्य वेश में हल्के तेज युक्त शरीर में पृथ्वी पर प्रकट होता है। अच्छी आत्माओं को यथार्थ आध्यात्म ज्ञान देने के लिए आता है। अपनी वाक (वाणी) द्वारा ज्ञान बताकर भक्ति करनेकी प्रेरणा करता है। कवियों की तरह आचरण करता हुआ विचरण करता है। अपनी महिमा के ज्ञान को कवित्व से यानि दोहों, शब्दों, चौपाईयों के माध्यम से बोलता है। जिस कारणसे प्रसिद्ध कवि की उपाधि भी प्राप्त करता है। यही प्रमाण संत गरीबदास जी ने इस अमृतवाणी में दिया है कि परमेश्वर गगन मण्डल यानि आकाश खण्ड (सच्चखण्ड) में रहताहै। वह अविनाशी है, अलेख जिसको सामान्य दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। सामान्य व्यक्तिउनकी महिमा का उल्लेख नहीं कर सकता। वह वहाँ से चलकर आता है। प्रत्येक युग में प्रकट होता है। भिन्न-भिन्न वेश बनाकर सत्संग करता है यानि तत्वज्ञान के प्रवचन सुनाताहै। कबीर जी ने बताया है कि :-
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सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रोता नाम मुनीन्द्र मेरा।।
द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।

           भावार्थ :-वह प्रभु परमात्मा चारों युगों में आते हैं सतयुग में  सतसुकृत के नाम से आते हैं त्रेता में मुनेंद्र के नाम से आते हैं द्वापर में करुणा नाम से आते हो कलयुग में कबीर नाम से आते हैं





                         प्रमाण:-
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        " पवित्र बाइबल तथा पवित्र कुरान शरीफ में सृष्टि रचना का प्रमाण"
इसी का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुरान शरीफ में भी है।कुरान शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाणित किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टि रचनहार तथा उसका  नाम क्या है।
👉पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :अन्य प्राणियों की रचना करके ।
26.   फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूपके अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा।
 27. तब परमेश्वर नेमनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर नेउसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।

29. प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीजवाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, (माँस खाना नहीं कहा है।)सातवां दिन :- विश्राम का दिन :परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टि की उत्पत्ति की तथा सातवें दिन विश्राम किया।पवित्र बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।
           

         पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुर्कानि 25, आयत नं. 52, 58, 59)आयत 52 :-
 फला तुतिअल् - काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा(कबीरन्)।।
52।इसका भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी का खुदा (प्रभु) कह रहा है कि हे पैगम्बर !आप काफिरों (जो एक प्रभु की भक्ति त्याग कर अन्य देवी-देवताओं तथा मूर्ति आदि कीपूजा करते हैं) का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग कबीर को पूर्ण परमात्मा नहीं मानते।आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही पूर्ण प्रभु हैतथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना (लड़ना नहीं) अर्थात् अडिग रहना।।

आयत 58 :- व तवक्कल् अलल् - हरिल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफाबिही बिजुनूबि िअबादिही खबीरा (कबीरा)।।58।भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह अल्लाह (प्रभु)किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि

 ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा परविश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वालानहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पाकी (पवित्रा महिमा)का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह (कविर्देव) पूजा के योग्य है तथा अपने उपासकों के सर्व पापों को विनाश करने वाला है।
आयत 59 :- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन्सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।59।।

भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कहरहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपनेसत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी(बाखबर) तत्वदर्शी संत से पूछो

उपरोक्त दोनों पवित्रा धर्मों (ईसाई तथा मुसलमान) के पवित्र शास्त्रों ने भी मिल-जुल कर प्रमाणित कर दिया कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप  विनाशक , सर्वशक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक मेंरहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरू भी कहते हैं।
 

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Thursday, May 7, 2020

नशा करता है नाश ।।

नशा चाहे शराब, सुल्फा, अफीम, हिरोईन आदि-आदि किसी का भी करते हो, यह आपका सर्वनाश का कारण बनेगा। नशा सर्वप्रथम तो इंसान को शैतान बनाता है। फिर शरीर का नाश करता है। शरीर के चार महत्वपूर्ण अंग हैं :- 1. ण्फेफड़े, 2.जिगर (लीवर), 3. गुर्दे (ज्ञपकदमल), 4. हृदय। शराब सर्वप्रथम इन चारों अंगों को खराब करती है। सुल्फा (चरस) दिमाग को पूरी तरह नष्ट कर देता है। हिरोईन शराब से भी अधिक शरीर को खोखला करती है। अफीम से शरीर कमजोर हो जाता है। अपनी कार्यशैली छोड़ देता है। अफीम से ही चार्ज होकर चलने लगता है। रक्त दूषित हो जाता है। इसलिए इनको तो गाँव-नगर में भी नहीं रखे, घर की बात क्या। सेवन करना तो सोचना भी नहीं चाहिए।

       मानव (स्त्री -पुरुष ) जीवन में पूर्व के शुभ कर्म अनुसार अच्छा भोजन मिला है। अच्छा मानव शरीर मिला है। जब चाहो, खाना खाओ। प्यास लगे, पानी पीओ। इच्छा बने तो चाय-दूध पीयो। फल तथा मेवा (काजू-बादाम) खाओ। यदि पूरा गुरू बनाकर सच्चे दिल से भक्ति व सत्संग सेवा, दान-धर्म नहीं किया तो अगले जन्म में गधा-बैल-कुत्ता बनकर दुर्दशा को प्राप्त हो जाओगे। न समय पर खाना मिलेगा, न पानी। न कोई गर्मी-सर्दी से, मच्छर-मक्खी से बचने का साधन होगा।मानव जीवन में तो मच्छरदानी, ऑल-आऊट से बचाव कर लेते हैं। गर्मी से बचनेके उपाय खोज लिए हैं। परंतु जब पशु बनोगे, तब क्या मिलेगा?




संत गरीबदासजी ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त ज्ञान को इस प्रकार बताया है :-
गरीब, नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा बैल बनाई।।
छप्पन भोग कहाँ मन बोरे, कुरड़ी चरने जाई।।

       भावार्थ :-   मानव शरीर छूट जाने के पश्चात् भक्ति हीन तथा शुभकर्म हीन होकर जीव गधे-बैल आदि-आदि की योनियों (शरीरों) को प्राप्त करेगा। फिर मानव शरीर वाला आहार नहीं मिलेगा। गधा बनकर कुरड़ी (कूड़े के ढ़ेर) पर गंद खाएगा। बैल बनकर नाक में नाथा (एक रस्सी) डाली जाएगी। रस्से से बँधा रहेगा।न प्यास लगने पर पानी पी सकेगा, न भूख लगने पर खाना खा सकेगा।मक्खी-मच्छर से बचने के लिए एक दुम होगी। उसको कूलर समझना, पंखा या मच्छरदानी समझना। जिन प्राणियों के अधिक पापकर्म होते हैं, पशु जीवन मेंउनकी दुम भी कट जाती है। एक-डेढ़ फुट का डण्डा शेष बचता है, उसे घुमाता रहता है।



   जब यह प्राणी मानव शरीर में था तो उसने स्वपन में भी नहींसोचा था कि एक दिन मैं बैल भी बन जाऊँगा। अब बोलकर भी नहीं बता पा रहाथा कि दर्द कहाँ पर है? कबीर जी ने कहा है कि :-
कबीर, जिव्हा तो वोहे भली, जो रटै हरिनाम।।
ना तो काट के फैंक दियो, मुख में भलो ना चाम।।

भावार्थ :-
          जैसे जीभ शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। यदि परमात्मा कागुणगान तथा नाम-जाप के लिए प्रयोग नहीं किया जाता है तो व्यर्थ है क्योंकि इसजुबान से कोई किसी को कुवचन बोलकर पाप करता है। बलवान व्यक्ति निर्बल को गलत बात कह देता है जिससे उसकी आत्मा रोती है। बद्दुवा देती है। बोलकर सुना नहीं सकता क्योंकि मार भी पड़ सकती है। यह पाप हुआ। फिर किसी कीनिंदा करके, किसी की झूठी गवाही देकर, किसी को व्यापार में झूठ बोलकर ठगकर अनेकों प्रकार के पाप मानव अपनी जीभ से करता है। परमेश्वर कबीर जीने बताया है कि यदि जीभ का सदुपयोग नहीं करता है यानि शुभ वचन-शीतल वाणी, परमात्मा का गुणगान यानि चर्चा करना, धार्मिक सद्ग्रन्थों का पठन-पाठन तथा भगवान के नाम पर जाप-स्मरण जीभ से नहीं कर रहा है तो इसे काटकर फैंकदो। कोरे पाप इकट्ठे कर रहा है।(जीभ को काटने को कहना तो मात्रा उदाहरण है जो सतर्क करने को है।कहीं जीभ काटकर मत फैंक देना। अपने शुभ कर्म, शुभ वचन शुरू करना। यदिरामनाम व गुणगान नहीं कर रहा है तो पवित्रा मुख में इस जीभ के चाम को रखनाअच्छा नहीं है।)



अगले जन्म में वह व्यक्ति कुत्ता बनेगा, टट्टी खाएगा। गंदी नाली का पानीपीएगा। फिर पशु-पक्षी बनकर कष्ट पर कष्ट उठाएगा। इसलिए सर्व नशा व बुराई त्यागकर इंसान का जीवन जीओ। सभ्य समाज को भी चैन से जीने दो। एक शराबी अनेकों व्यक्तियों की आत्मा दुःखाता है :- पत्नी की, पत्नी के माता-पिता,भाई-बहनों की, अपने माता-पिता, बच्चों की, भाई आदि की। केवल एक घण्टे केनशे ने धन का नाश, इज्जत का नाश, घर के पूरे परिवार की शांति का नाश करदिया। क्या वह व्यक्ति भविष्य में सुखी हो सकता है? कभी नहीं। नरक जैसा जीवन जीएगा। इसलिए विचार करना चाहिए, बुराई तुरंत त्याग देनी चाहिऐं।



नशा केवल संत रामपाल जी महाराज जी की दी गई शास्त्र अनुसार भक्ति से ही व्यक्ति के सभी प्रकार के विकार छोड़ सकते हैं।


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तीनों गुण क्या हैं ??

तीनों गुण रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी हैं। ब्रह्म(काल) तथा प्रकृति (दुर्गा) से उत्पन्न हुए हैं तथा तीनों नाशवान है।


     👉प्रमाण :-
                गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित श्री शिव महापुराण जिसके सम्पादक हैं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार पृष्ठ सं. 24 से 26 विद्यवेश्वर संहिता तथा पृष्ठ 110 अध्याय9 रूद्र संहिता ‘‘इस प्रकार ब्रह्मा-विष्णु तथा शिव तीनों देवताओं में गुण हैं, परन्तु शिव(ब्रह्म-काल) गुणातीत कहा गया है।

👉दूसरा प्रमाण :-
                        गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीमद् देवीभागवत पुराण जिसके सम्पादक हैं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार चिमन लाल गोस्वामी, तीसरा स्कंद, अध्याय 5पृष्ठ 123 भगवान विष्णु ने दुर्गा की स्तुति की : कहा कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर तुम्हारी कृपा से विद्यमान हैं। हमारा तो आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु)होती है। हम नित्य (अविनाशी) नहीं हैं। तुम ही नित्य हो, जगत् जननी हो, प्रकृतिऔर सनातनी देवी हो। भगवान शंकर ने कहा : यदि भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णुतुम्हीं से उत्पन्न हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाला मैं तमोगुणी लीला करने वालाशंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ ? अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हों।इस संसार की सृष्टी-स्थिति-संहार में तुम्हारे गुण सदा सर्वदा हैं। इन्हीं तीनों गुणों सेउत्पन्न हम, ब्रह्मा-विष्णु तथा शंकर नियमानुसार कार्य में तत्त्पर रहते हैं।

👉यही प्रमाण देखें श्री मद्देवीभागवत महापुराण सभाषटिकम् समहात्यम्, खेमराज श्री कृष्ण दास प्रकाशन मुम्बई, इसमें संस्कृतसहित हिन्दी अनुवाद किया है। तीसरा स्कंद अध्याय 4 पृष्ठ 10, श्लोक 42:-
 ब्रह्मा - अहम् ईश्वरः फिल ते प्रभावात्सर्वे, वयं जनि युता न यदा तू नित्याः।।
केअन्ये सुराः शतमख प्रमुखाः ,च नित्या नित्या त्वमेव जननी प्रकृतिः पुराणा।

हे मात! ब्रह्मा, मैं तथा शिव तुम्हारे ही प्रभाव से जन्मवान हैं,नित्य नही हैं अर्थात् हम अविनाशी नहीं हैं, फिर अन्य इन्द्रादि दूसरे देवता किसप्रकार नित्य हो सकते हैं। तुम ही अविनाशी हो, प्रकृति तथा सनातनी देवी हो।


👉निष्कर्ष :- उपरोक्त प्रमाणों से प्रमाणित हुआ की रजगुण - ब्रह्म, सतगुण विष्णुतथा तमगुण शिव है ये तीनों नाशवान है। दुर्गा का पति ब्रह्म (काल) है यह उसकेसाथ भोग विलास करता है।
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Wednesday, May 6, 2020

द्रोपती का चीर हरण होने से कैसे बचा??

द्रोपदी पूर्व जन्म में परमात्मा की परम भक्त थी। फिर वर्तमान जन्म मेंएक अंधे साधु को साड़ी फाड़कर लंगोट (कोपीन) के लिए कपड़ा दिया था।
 (अंधे साधु के वेश में स्वयं कबीर परमेश्वर ही लीला कर रहे थे।) जिस कारण से जिस समय दुःशासन ने द्रोपदी को सभा में नंगा करने की कोशिश की तो द्रोपदी ने देखा कि न तो मेरे पाँचों पति(पाँचों पाण्डव) जो भीम जैसे महाबली थे, सहायता कर रहे हैं। न भीष्म पितामह, द्रोणाचार्यतथा दानी कर्ण ही सहायता कर रहे हैं।

       सब के सब किसी न किसी बँधन के कारण विवश हैं। तब निर्बन्ध परमात्मा को अपनी रक्षार्थ हृदय से हाथी की तरह तड़फकर पुकार की। उसी समय परमेश्वर जी ने द्रोपदी का चीर अनन्त कर दिया।
 दुःशासन जैसे योद्धा जिसमें दसहजार हाथियों की शक्ति थी, थककर चूर हो गया। चीर का ढ़ेर लग गया, परंतु द्रोपदी  निःवस्त्रा नहीं हुई। परमात्मा ने द्रोपदी की लाज रखी।

    पाण्डवों के गुरू श्री कृष्ण जी थे।जिस कारण से उनका नाम चीर बढ़ाने की लीला में जुड़ा है। इसलिए वाणी में कहा है कि निज नाम की महिमा सुनो जो किसी जन्म में प्राप्त हुआ था, जब परमेश्वर सतगुरू रूप में उस द्रोपदी वाली आत्मा को मिले थे। उनको वास्तविक मंत्रा जाप करने को दिया था।

   उसकी भक्ति की शक्ति शेष थी। उस कारण द्रोपदी की इज्जत रही थी।

तब भी उसी समय  पर कबीर साहिब जी ने द्रोपती का चीर हरण से बचाया क्योंकि द्रोपती नहीं है जब  वह कवारी थी जब उसने अंधे संत को कुछ दान किया था उस के उपलक्ष में कबीर साहेब जी ने उसकी इज्जत बचाई।

आज वही परमात्मा इस पावन धरती पर आए हुए है संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में।
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अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखिए साधना टीवी पर 7:30 से 8:30 पीएम

कोरोना का समाधान कैसे हो सकता है।

 केवल संत रामपाल जी महाराज जी इस असाध्य बीमारी को खत्म कर सकते हैं उनसे  नाम दीक्षा लेकर  भक्ति करने से सारे रोग खत्म हो जाते हैं।

संत रामपाल जी महाराज जी  एक ऐसे महान संत है जो तत्वज्ञान के आधार पर सभी  बीमारियों को जड़ से  मिटा देते है और व्यक्ति को स्वस्थ  कर देते है।
        अधिक जानकारी के  लिए अवश्य देखे।
साधना टीवी  पर
7:30से,8:30pm

भैया दूज क्या है??

भाई दूज        राखी के बाद मनाया जाता है। पहले दीपावली उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है। Bhai Dooj के दिन बहनें भाई क...