सच्चा परमात्मा वह जिनका प्रमाण अपने सभीधर्मग्रन्थ करते हैं
सच्चा परमात्मा वह है जो व्यक्ति की समस्त प्रकार की रोगों
का निवारण कर देता है तथा उसको सुखी जीवन जीने की राह प्रदान करता है परमात्मा के गुणों में लिखा हुआ है कि वह परमात्मा व्यक्ति के घोर से घोर पापों को भी विनाश कर देता है तथा उसको 100 वर्ष की आयु प्रदान कर देता है और उसको सुखी जीवन जीने मार्ग देता है।
सच्चा भगवान वह है जिनका प्रमाण सभी धर्मों के सद ग्रंथों में सच्चे भगवान का प्रमाण दे रखा है कि वह परमात्मा सतलोक में विराजमान है राजा के समान दर्शनीय है सिर पर मुकुट है और बिजली जैसी गति करके यहां पर अच्छी आत्माओं को मिलता है और उस सतलोक स्थान की जानकारी देता है
सत भक्ति का लाभ |
कबीर साहेब चारों युगों में आते हैं
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान।
झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।।
”सतयुग में कविर्देव (कबीर साहेब) का सत्सुकृत नाम से प्राकाट्य“तत्वज्ञान के अभाव से श्रद्धालु शंका व्यक्त करते हैं कि जुलाहे रूप में कबीर जीतो वि. सं. 1455 (सन् 1398) में काशी में आए हैं। वेदों में कविर्देव यही काशी वालाजुलाहा (धाणक) कैसे पूर्ण परमात्मा हो सकता है?इस विषय में दास (सन्त रामपाल दास) की प्रार्थना है कि यही पूर्ण परमात्माकविर्देव (कबीर परमेश्वर) वेदों के ज्ञान से भी पूर्व सतलोक में विद्यमान थे तथा अपनावास्तविक ज्ञान (तत्वज्ञान) देने के लिए चारों युगों में भी स्वयं प्रकट हुए हैं। सतयुग मेंसतसुकृत नाम से, त्रोतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथाकलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं। इसके अतिरिक्तअन्य रूप धारण करके कभी भी प्रकट होकर अपनी लीला करके अन्तर्ध्यान हो जातेहैं। उस समय लीला करने आए परमेश्वर को प्रभु चाहने वाले श्रद्धालु नहीं पहचानसके, क्योंकि सर्व महर्षियों व संत कहलाने वालों ने प्रभु को निराकार बताया है।वास्तव में परमात्मा आकार में है। मनुष्य सदृश शरीर युक्त हैं। परंतु परमेश्वर काशरीर नाडि़यों के योग से बना पांच तत्व का नहीं है। एक नूर तत्व से बना है। पूर्णपरमात्मा जब चाहे यहाँ प्रकट हो जाते हैं वे कभी मां से जन्म नहीं लेते क्योंकि वे सर्वके उत्पत्ति कर्त्ता ह हो तो ऐसा पूर्ण प्रभु कबीर जी (कविर्देव) सतयुग में सतसुकृत नाम से स्वयं प्रकट हुए थे।उस समय गरुड़ जी, श्री ब्रह्मा जी श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी आदि को सतज्ञानसमझाया था। श्री मनु महर्षि जी को भी तत्वज्ञान समझाना चाहा था। परन्तु श्री मनुजी ने परमेश्वर के ज्ञान को सत न जानकर श्री ब्रह्मा जी से सुने वेद ज्ञान परआधारित होकर तथा अपने द्वारा निकाले वेदों के निष्कर्ष पर ही आरूढ़ रहे। इसकेविपरीत परमेश्वर सतसुकृत जी का उपहास करने लगे कि आप तो सर्व विपरीत ज्ञानकह रहे हो। इसलिए परमेश्वर सतसुकृत का उर्फ नाम वामदेव निकाल लिया (वामका अर्थ होता है उल्टा, विपरीत जैसे बायां हाथ को वामा अर्थात् उलटा हाथ भी कहतेहैं। जैसे दायें हाथ को सीधा हाथ भी कहते हैं)।इस प्रकार सतयुग में परमेश्वर कविर्देव जी जो सतसुकृत नाम से आए थे उससमय के ऋषियों व साधकों को वास्तविक ज्ञान समझाया करते थे। परन्तु ऋषियों नेस्वीकार नहीं किया। सतसुकृत जी के स्थान पर परमेश्वर को ‘‘वामदेव‘‘ कहने लगे।इसी लिए यजुर्वेद अध्याय 12 मंत्रा 4 में विवरण है कि यजुर्वेद के वास्तविक ज्ञानको वामदेव ऋषि ने सही जाना तथा अन्य को समझाया। पवित्रा वेदों के ज्ञान कोसमझने के लिए कृपया विचार करें - जैसे यजुर्वेद है, यह एक पवित्रा पुस्तक है।
कबीर साहेब जी ही पूर्ण परमात्मा है |
वेद प्रमाणित करते हैं कि वह परमात्मा कबीर साहेब जी है।
ऋग्वेद मण्डल नं. 9 सूक्त 86 मंत्रा 26.27,
👉मण्डल नं. 9 सूक्त82 मंत्रा 1.2,
👉मण्डल नं. 9 सूक्त 54 मंत्रा 3,
👉मण्डल नं. 9 सूक्त 96 मंत्रा 16.20,
👉मण्डलनं. 9 सूक्त 94 मंत्रा 2,
👉मण्डल नं. 9 सूक्त 95 मंत्रा 1,
👉मण्डल नं. 9 सूक्त 20 मंत्रा 1
में कहा है कि परमेश्वर आकाश में सर्व भुवनों (लोकों) के ऊपर के लोक में तीसरे भाग में विराजमान है। वहाँ से चलकर पृथ्वी पर आता है। अपने रूप को सरल करके यानि अन्य वेश में हल्के तेज युक्त शरीर में पृथ्वी पर प्रकट होता है। अच्छी आत्माओं को यथार्थ आध्यात्म ज्ञान देने के लिए आता है। अपनी वाक (वाणी) द्वारा ज्ञान बताकर भक्ति करनेकी प्रेरणा करता है। कवियों की तरह आचरण करता हुआ विचरण करता है। अपनी महिमा के ज्ञान को कवित्व से यानि दोहों, शब्दों, चौपाईयों के माध्यम से बोलता है। जिस कारणसे प्रसिद्ध कवि की उपाधि भी प्राप्त करता है। यही प्रमाण संत गरीबदास जी ने इस अमृतवाणी में दिया है कि परमेश्वर गगन मण्डल यानि आकाश खण्ड (सच्चखण्ड) में रहताहै। वह अविनाशी है, अलेख जिसको सामान्य दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। सामान्य व्यक्तिउनकी महिमा का उल्लेख नहीं कर सकता। वह वहाँ से चलकर आता है। प्रत्येक युग में प्रकट होता है। भिन्न-भिन्न वेश बनाकर सत्संग करता है यानि तत्वज्ञान के प्रवचन सुनाताहै। कबीर जी ने बताया है कि :-
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सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रोता नाम मुनीन्द्र मेरा।।
द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।
भावार्थ :-वह प्रभु परमात्मा चारों युगों में आते हैं सतयुग में सतसुकृत के नाम से आते हैं त्रेता में मुनेंद्र के नाम से आते हैं द्वापर में करुणा नाम से आते हो कलयुग में कबीर नाम से आते है।
कबीर जी ही भगवान है कुल के |
पूर्ण परमात्मा ही सर्व जीवों का आधार
अध्याय 9 के श्लोक 3 से 6 में कहा है कि जो नियम गीता अध्याय 8 के श्लोक 5 से 10 मेंकहा है, यदि उसके आधार पर साधक साधना नहीं करता वह जन्म-मरण के चक्र में रहता है। फिरकहा है कि ये सर्व प्राणी उस परमात्मा के आधार हैं परंतु मैं इनसे न्यारा (ब्रह्मलोक में) हूँ क्योंकिकाल ब्रह्मलोक तथा इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में अलग से रहता है तथा ब्रह्म लोक में भी महाब्रह्मा-महाविष्णुतथा महाशिव रूप में गुप्त तथा भिन्न रहता है। वास्तव में यहाँ सर्व प्राणियों को वह पूर्ण परमात्मामाया द्वारा व्यवस्थित रखता है। मैं (काल) प्राणियों में नहीं हूँ। जैसे वायु आकाश में ठहराई है वैसेही जीव उस परमात्मा में अपने कर्माधार पर उसी की (शक्ति) माया द्वारा व्यवस्थित हैं। गीताअध्याय 13 श्लोक 17 तथा अध्याय 18 श्लोक 61 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि पूर्ण परमात्मासर्व प्राणियों के हृदय में विशेष रूप से स्थित है। वही सर्व प्राणियों को कर्माधार से यन्त्रा की तरहभ्रमण कराता है।
कबीर साहेब जी ने सृष्टि की रचना की |
पवित्रा कुरान शरीफ में प्रमाण
प्रमाण:-👇👇👇
" पवित्र बाइबल तथा पवित्र कुरान शरीफ में सृष्टि रचना का प्रमाण"
इसी का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुरान शरीफ में भी है।कुरान शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाणित किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टि रचनहार तथा उसका नाम क्या है।
👉पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :अन्य प्राणियों की रचना करके ।
26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूपके अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा।
27. तब परमेश्वर नेमनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर नेउसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
29. प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीजवाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, (माँस खाना नहीं कहा है।)सातवां दिन :- विश्राम का दिन :परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टि की उत्पत्ति की तथा सातवें दिन विश्राम किया।पवित्र बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।
परमात्मा साकार है |
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुर्कानि 25, आयत नं. 52, 58, 59)आयत 52 :-
फला तुतिअल् - काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा(कबीरन्)।।
52।इसका भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी का खुदा (प्रभु) कह रहा है कि हे पैगम्बर !आप काफिरों (जो एक प्रभु की भक्ति त्याग कर अन्य देवी-देवताओं तथा मूर्ति आदि कीपूजा करते हैं) का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग कबीर को पूर्ण परमात्मा नहीं मानते।आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही पूर्ण प्रभु हैतथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना (लड़ना नहीं) अर्थात् अडिग रहना।।
आयत 58 :- व तवक्कल् अलल् - हरिल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफाबिही बिजुनूबि िअबादिही खबीरा (कबीरा)।।58।भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह अल्लाह (प्रभु)किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि
ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा परविश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वालानहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पाकी (पवित्रा महिमा)का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह (कविर्देव) पूजा के योग्य है तथा अपने उपासकों के सर्व पापों को विनाश करने वाला है।
कबीर जी ही अल्लाह है |
आयत 59 :- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन्सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।59।।
भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कहरहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपनेसत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी(बाखबर) तत्वदर्शी संत से पूछो
उपरोक्त दोनों पवित्रा धर्मों (ईसाई तथा मुसलमान) के पवित्र शास्त्रों ने भी मिल-जुल कर प्रमाणित कर दिया कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक , सर्वशक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक मेंरहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरू भी कहते हैं।
कबीर साहेब जी भगवान है |
अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें संत रामपाल जी महाराज के सुप्रसिद्ध चैनल पर सत्संग
👉साधना टीवी पर 7:30 से 8:30pm
👉 ईश्वर टीवी पर 8:30 से 9:30 पीएम
👉 श्रद्धा टीवी पर 2:00 से 3:00 a.m.
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